हममें से अधिकांश लोगों को मंदिरों से मिलने वाला प्रसाद बहुत पसंद होता है। लेकिन क्या आपने किसी ऐसे प्रसाद के बारे में सुना है जो अस्थमा को ठीक कर सकता है?
हां, आपने सही सुना। ऐसा प्रसाद जिससे अस्थमा ठीक हो सकता है |भारत में एक परिवार का दावा है कि उनका प्रसाद जीवन भर के लिए अस्थमा को ठीक कर सकता है।
तो आइए देखते हैं कौन सा है ये प्रसाद? क्या यह वास्तव में अस्थमा का इलाज करता है? या यह सिर्फ एक अंधविश्वास है?
हैदराबाद के बथिनी गौड़ परिवार का दावा है कि उनकी प्राचीन काल से चली आ रही यह दवा (जिसे मछली प्रसादम कहा जाता है) अस्थमा का इलाज कर सकती है।
हर साल जून में नामपल्ली इलाक़े में आयोजित इस प्रदर्शनी में भारत और दुनिया भर से लाखों लोग आते हैं। लोग अपने अस्थमा को ठीक करने की आशा में मछली प्रसादम लेने के लिए कतार में खड़े होते हैं।
मछली प्रसादम में एक हर्बल औषधि होती है जो पीले पेस्ट की तरह दिखती है। इस पेस्ट को एक जिंदा मछली में रखा जाता है, जो 5-7 सेंटीमीटर लंबी होती है। यह मछली (हर्बल पेस्ट के साथ) एक व्यक्ति के मुँह में डाल दी जाती है और इसे बिना पानी पिए निगल जाना होता है। अगर निगलने के दौरान जीवित मछली की हलचल महसूस होती है तो यह थेरेपी प्रभावी मानी जाती है।
गौड़ परिवार यह प्रसाद मुफ्त में अस्थमा के मरीज़ों को प्रदान करता है। हर साल लगभग 450 किलो प्रसाद तैयार किया जाता है और अस्थमा पीड़ितों को दिया जाता है। प्रसाद के साथ, अस्थमा के मरीज़ों के लिए एक आहार भी निर्धारित किया जाता है ।
जबकि कई लोगों का मानना है कि यह प्रसाद उनके अस्थमा को ठीक कर देगा और इस प्रसाद को लेने के लिए लंबी कतार में इंतजार करते हैं, कई डॉक्टर और शोधकर्ता इस दवा की प्रभावशीलता पर संदेह करते हैं और मानते हैं कि इस प्रसाद के काम करने का कोई सबूत नहीं है।
इसके अलावा इस प्रसाद की सामग्री किसी को नहीं बताई गयी है। गौड़ परिवार का कहना है कि इस प्रसाद की सामग्री गुप्त है और इसका खुलासा नहीं किया जा सकता है। उनके अनुसार, एक साधु-संत ने यह नुस्खा उनके पूर्वज वीरन्ना गौड़ को दिया है और उन्हें इसकी सामग्री को जनता के सामने प्रकट करने से मना किया है। परिवार के अनुसार, इसके अवयवों (सामग्री )का खुलासा करने से दवा अप्रभावी हो सकती है। गौड़ परिवार इस दवा को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ा रही है ताकि अधिक से अधिक अस्थमा के मरीज़ों का इलाज हो सके |
क्योंकि इस प्रसाद की सामग्री का खुलासा नहीं हुआ है, इसलिए डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने इस पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया है, क्योंकि इसमें संभावित रूप से जहरीले या खतरनाक तत्व हो सकते हैं।
कुछ डॉक्टरों का मानना है कि इस प्रसाद का अस्थमा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, जबकि औरों के अनुसार, यह वास्तव में स्थिति को और खराब कर सकता है।
डॉक्टर लगातार इस रहस्यमयी दवा के अवयवों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ लोगों ने माना कि प्रसादम में स्टेरॉयड होते हैं क्योंकि गौड़ परिवार रोगियों को लगातार 3-4 वर्षों तक यह प्रसाद लेने के लिए कहते हैं। लेकिन बाद में यह झूठा दावा साबित हुआ।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने गौड़ परिवार से इसकी सामग्री पर कोर्ट में पूछताछ की है। IMA का दावा है कि इस प्रसाद में भारी धातु जैसे हानिकारक रसायन हैं, जो बहुत खतरनाक हो सकते हैं। हालांकि, गौड़ परिवार सभी दावों का खंडन करता है और कहता है कि उनकी दवा का प्रयोगशालाओं में परीक्षण किया गया है और इसे सुरक्षित बताया गया है।
हालांकि गौड़ परिवार का दावा है कि उनकी दवा अस्थमा का इलाज कर सकती है, कुछ लोग हर साल प्रदर्शनी में आते हैं (8-10 से अधिक वर्षों के लिए) और फिर भी प्रसादम लेते हैं। उनका कहना है कि प्रसादम ने उनके अस्थमा को पूरी तरह से ठीक नहीं किया है लेकिन एलोपैथिक दवाओं से कहीं बेहतर है और लक्षणों से लंबे समय तक राहत देता है।
गौड़ परिवार शाकाहारियों को भी यह प्रसाद प्रदान करता है। मछली के मुँह में दवा डालने की बजाय गुड़ के साथ पीला पेस्ट या हर्बल दवा दी जाती है |जीवित मछली के साथ लेने की तुलना में गुड़ के साथ हर्बल औषधि लेने से दमा ठीक होने में अधिक समय लग सकता है।
निष्कर्ष:
जबकि गौड़ परिवार और कई लोग मानते हैं कि मछली प्रसादम अस्थमा का इलाज करता है, इसके आसपास कई विवाद हैं। इसलिए, इसकी सुरक्षा और प्रभावशीलता का समर्थन करने के लिए साक्ष्य होना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।