गले में जलन और खुजली, गले में खराश का मुख्य कारण बनते हैं |
हम गले में खराश को इतना महत्वपूर्ण या चिंता न करने वाला लक्षण मानते हैं। खैर, कभी-कभी यह सच होता है, लेकिन कभी-कभी यह गले में खराश सिर्फ गला सूखने के अलावा और भी किसी चीज़ का संकेत हो सकता है
जब भी हमारे गले में खराश होती है, तो हम बस एक चम्मच शहद ले लेते हैं या किसी फार्मेसी से लॉज़िंजस (Lozenges) ले आते हैं | अधिकांश समय ये उपाय पर्याप्त होते हैं, लेकिन कई बार ऐसा भी होता है जब वे कम प्रभावी लगते हैं। यह सामान्यतौर पर तब होता है जब आपके गले में खराश रोजाना या लंबे समय तक होती है और अगर गले में खराश बहुत दर्द से जुड़ी होती है (खासतौर पर कुछ निगलने या बात करते समय)।
तो आइए देखें कि गले में खराश के क्या कारण हैं।
गले में खराश के कारण
- शुष्क मुँह (सूखा मुँह)और निर्जलीकरण:
निर्जलीकरण या डीहाइड्रेशन, जिसे हम आमतौर पर शरीर में पानी की कमी भी कहते हैं |यह गले में खराश के सबसे आम कारणों में से एक है। जब हमारा शरीर निर्जलित होता है, तो यह मुंह और गले को नम रखने के लिए पर्याप्त बलगम का उत्पादन नहीं कर पाता है। इससे मुंह सूख जाता है। मुंह सूखने से गले में जलन और खराश हो सकती है।
जब हम सो रहे होते हैं तो लगभग 6-8 घंटे बिना पानी के गुजारते हैं। यह एक मुख्य कारण है कि कई लोगों को सुबह उठते ही गले में खराश होती है |
गर्मियों में गर्म और सूखी हवा के कारण डिहाइड्रेशन आम है | हममें से ज्यादातर लोग गर्मियों में इतना पानी पीते हैं कि ऐसा लगता है कि हमारा पेट पानी से ही भर गया है | यह प्यास के कारण होता है। प्यास एक संकेत है जिससे हमारा शरीर हमें बताता है कि वह निर्जलित हो रहा है।
- पोस्ट नेज़ल ड्रिप:
पोस्ट नेज़ल ड्रिप, सरल शब्दों में, हमारे नाक के पीछे से गले तक बलगम की गति या प्रवाह है। सर्दी के अलावा, पोस्ट नेज़ल ड्रिप कई अन्य स्थितियों का लक्षण हो सकता है जैसे साइनसाइटिस, नेज़ल पॉलिप्स, एलर्जी, या हमारे श्वसन पथ के ऊपरी और निचले हिस्से में संक्रमण।
- गले में इन्फेक्षन:
स्ट्रेप थ्रोट एक जीवाणु संक्रमण है जो गले को प्रभावित करता है। एक व्यक्ति को गले में खराश, दर्द, खुजली और जलन, और पानी या खाना निगलते समय दर्द का अनुभव हो सकता है। अगर आपको बुखार के साथ गले में खराश है, तो संभावना है कि यह किसी संक्रमण के कारण हो।
- मुँह से सांस लेना:
हमारा शरीर नाक से सांस लेने के लिए बना है। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है जब हम अपनी नाक से सांस नहीं ले पाते हैं, तब मुँह से साँस लेना बहुत आवश्यक हो जाता है |
जब हमारी नाक बंद हो जाती है तो नाक से साँस लेना मुश्किल हो जाता है और जब हमें लगता है कि हमें पर्याप्त हवा नहीं मिल रही है तो हम अपने आप मुँह से साँस लेने लगते हैं। ऐसा उन लोगों के साथ भी होता है जो खर्राटे लेते हैं।
मुँह से साँस लेने से हमारा गला सूख सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारा मुँह हवा को गर्म और नम नहीं सकता है (जैसे नाक करती है)। शुष्क मुँह से गले में खराश और मुँह से दुर्गंधयुक्त साँस आ सकती है। ज़्यादातर लोग सोते समय मुँह से साँस लेते हैं |
- खर्राटे लेना:
जो लोग खर्राटे लेते हैं वे आमतौर पर सूखे मुँह और गले में खराश के साथ उठते हैं। यह आमतौर पर मुँह से साँस लेने के कारण होता है। नींद के दौरान कुछ लोग अपनी जीभ और गले की मांसपेशियों के कारण अपनी नाक से ठीक से सांस नहीं ले पाते हैं, जिसके कारण कुछ लोग मुँह से साँस लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं |
- वायुमार्ग में इरिटेशन: वाहनों और कारखानों से निकलने वाले धुएं, रसायन, धूल, एलर्जी और अन्य बाहरी चीजें गले को परेशान या इरिटेट कर सकती हैं, जिससे गले में खराश हो सकती हैं। ठंडी और शुष्क हवा भी गले में जलन और खराश का कारण बन सकती है।
- सर्दी और फ्लू जैसे वायरल इन्फेक्षन:
बहती नाक या छींक की तरह, गले में खराश भी सर्दी और फ्लू जैसे वायरल संक्रमण का एक सामान्य लक्षण हो सकता है। इसका एक कारण पोस्ट नेज़ल ड्रिप भी है।
- व्यायाम (बहुत यादा एक्सर्साइज़ करना):
एक्सर्साइज़ हमें फिट रहने में मदद करता है। अपने शरीर को स्वस्थ और बीमारियों से दूर रखने के लिए हम सभी को एक्सर्साइज़ करना चाहिए। लेकिन जब हम बहुत देर तक एक्सर्साइज़ कर रहे होते हैं, या लंबे समय तक टहल रहे या दौड़ रहे होते हैं, तब हममें से ज्यादातर लोग मुँह से साँस लेना शुरू कर देते हैं, जिससे हमारा मुँह और गला सूख जाता है |
- अस्थमा:
अस्थमा और ब्रोंकाइटिस से पीड़ित लोगों में वायुमार्ग सिकुड हो जाता है, जिससे हवा को गुजरने के लिए कम जगह मिलती है। जब इन लोगों को सामान्य सर्दी, फ्लू या साइनस इन्फेक्षन हो जाता है तो सांस लेना और भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में वे मुँह से साँस लेने लगते हैं, जिससे गले में खराश हो सकती है। ये चीजें (सर्दी, फ्लू और साइनसाइटिस) उनके अस्थमा को ट्रिगर भी कर सकती हैं।